BAS YUN HI.
कल एक निजी बैंक में कुछ काम से जाना हुआ वहाँ के अस्सिटेंट मैनेजर से
बातों बातों में कुछ बातें हुईं। मैनेजर साहब बड़े गर्व के साथ बता रहे थे
कि उनका बेटा जो छठवी कक्षा में है एक private स्कूल में पढ़ता है फीस है
6000 रुपये महीने । और स्कूल उनके घर से 800 मीटर की दूरी पर है जिसका कैब
का खर्चा 2000 रुपये है।
बात दरअसल ये थी कि मैनेजर साहब की कमाई डेढ़ लाख रुपये महीने की है और उन्हें ये बात गंवारा नही की उनका बेटा उस स्कूल में जाये जहा किसी 15000 कमाने वाले का बच्चा पढता है।
समाज का असली और बदसूरत चेहरा यही है आप और हम जानकर भी अनजान बनने का नाटक चाहे जितना कर लें। सच तो यही है कि हम अंदर तक भ्रष्ट हैं । हम किसी दूसरे के जैसे बनना तो चाहते हैं पर ये कभी नही चाहते कि कोई हमारे जैसे बन जाये ।
बात दरअसल ये थी कि मैनेजर साहब की कमाई डेढ़ लाख रुपये महीने की है और उन्हें ये बात गंवारा नही की उनका बेटा उस स्कूल में जाये जहा किसी 15000 कमाने वाले का बच्चा पढता है।
समाज का असली और बदसूरत चेहरा यही है आप और हम जानकर भी अनजान बनने का नाटक चाहे जितना कर लें। सच तो यही है कि हम अंदर तक भ्रष्ट हैं । हम किसी दूसरे के जैसे बनना तो चाहते हैं पर ये कभी नही चाहते कि कोई हमारे जैसे बन जाये ।
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